Saturday, January 10, 2009

यह युग ज्योतिष के पुनर्जागरण का युग है : माधव सिंह यादव

ज्योतिष प्राचीन ईश्वरीय-ज्ञान है ।
इसे संधि विग्रहीत करने से अर्थ स्पष्ट हो जाता है ज्योति+ईश यानी वह ईश्वरीय ज्योति पुँज जो आपका जीवन पथ प्रकाशमय कर सुगम बनाए और जीवन को सफल बनाए। इसे होरा शास्त्र भी कहा जाता है.... अर्थात काल/समय का शास्त्र जो काल को काल के विभिन्न रहस्यों को उजागर करता है। इसी कारण ज्योतिष-विद इसे "देवज्ञ" कहा है । आप भी यदि ईश्वर के कृपा पात्र हैं तो इस विधा के पारंगत हो सकतें हैं। किंतु सर्वज्ञ होने पर भी हर कोई प्रसिद्द हो ऐसा तभी सम्भव है जब उस जातक की कुण्डली में ऐसे योग हों जिनसे एक व्यक्ति यशस्वी होता है । ज्योतिष ज्ञान के लिए ग्रंथों गंभीर अध्ययन ज़रूरी है। ज्योतिष के सैधांतिक-ज्ञान को गंभीरता से प्रज्ञा-पटल पर अंकित कर देना चाहिए । सफल ज्योतिर्विद बनने के लिए शिव की साधना इस कारण ज़रूरी है क्योंकि यह विद्या शिव के मुखारविन्द से निकली है। और इस विद्या के धारक गणेश के आराधक इस कारण हों क्योंकि "वाक्-चातुर्य" के लिए बुद्धि के देव गणेश का आशीर्वाद ज़रूरी होता है। यानी आप की कम्युनिकेशन स्किल में बाधा या भटकाव न हो ताकि आप लाभार्थी को संदेश सहजता-सरलता से देन सकें ।
इस ज्ञान का मुग़ल काल में राज्य संरक्षण की कमी के कारण कुछ कम ज़रूर हुआ.किंतु कुछ मुग़ल शासकों ने इस ज्ञान का परिरक्षण किया फलस्वरूप यवनाचार्य-कृत "ज्योतिष-ग्रन्थ"आज भी उपलब्ध है।
ब्रिटिश काल खंड में इस विद्या को सर्वाधिक क्षति हुई है। साथ ही साथ ग्रामीण भारतीय पृष्ठ भूमि में अंध विश्वास का सर्वाधिक विकास का अवसर मिला । समकालीन प्रगति शीलता के कारण इस विद्या को हेय भावः से देखा जाने लगा। किंतु आजाद भारत में इसे अकादमिक स्वरुप ही नहीं वरन जन स्वीकृति भी मिली । नई पीडी ने इस ज्ञान को स्वीकारा इस के मूल में इस ज्ञान में वैज्ञानिकता के तत्वों का होना है जिसकी व्याख्या मैं अगले आलेखों में करूंगा। उच्चा पदस्थ श्री के एन राव,ने ज्योतिष के विकास को महत्त्व दिया। साथ ही कम्पयूटर-तकनीकी के इस्तेमाल परिणाम अधिक शीघ्र,सटीक,और आसानी से निकल आने से भी इस विधा / विद्या को सर्वग्राह्यता मिल सकी है। प्लेनेटेरियम भी इस विधा के लिए सहायक हुए । काल-ग्रह की स्थितियों के सटीक मापन का तकनीकी सहयोग मिल रहा है जिसका अभाव ज्योतिष-ज्ञान के लिए नुकसान देह रहा है । अब तो सभी पालक जन्म-समय स्थान के लिए सुविग्य होतें हैं । अब प्रश्न कुंडली के विकल्प कम ही उपयोग करने होते अपवाद स्वरुप कभी कभार मुझे इसका उपयोग करना होता है।
संक्षेप में कहूं तो "यह युग ज्योतिष के पुनर्जागरण का युग है "
(इस आलेख के लेखक श्री माधव सिंह यादव हैं, वे नए ब्लॉगर हैं तथा यूनीकोड लेखन का अभ्यास कर रहें हैंजब तक वे इस हेतु मेरा सहयोग ले रहे हैं मेरा सौभाग्य है कि मैं अपने इन मित्र के किसी कार्य रहा हूँ !)

10 comments:

madhav said...

धन्यवाद गिरीश भाई
आपको मैं कष्ट दे रहा हूँ क्षमा चाहता हूँ किंतु पाठकों स्नेहियों
से वादा आपके कारण ही किया है
माधव

बाल भवन जबलपुर said...

MADHAV JI
AISAA MAT KAHIE MERAA LAKSHY HAI JABALPUR KO BLOGER'S CITY BANANAA HAR KSHETR KE BLOGER HONE CHAHIE JABALPUR SE SIRF MAIN HE AKELAA N RAHOON

Anonymous said...

यह युग ज्योतिष के पुनर्जागरण का युग है
I AGREE WITH YOU SIR
MAHESH VERMA

Anonymous said...

Sir Welcome to blogworld

बाल भवन जबलपुर said...

Amit bhai shukriya
aapane kai dino se nai post naheen de
we r waitin

बाल भवन जबलपुर said...

Thank' Mahesh Verma ji

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

ये जानकर बहुत खुशी हुई कि आपने ज्योतिष विषय पर आधारित ब्लाग आरंभ किया है.
वास्तव में किसी भी विषय में ज्ञान का होना तभी सार्थक है, जब कि उस के माध्यम से समाज लाभान्वित हो पाऎं.
साधुवाद स्वीकार करें......

बाल भवन जबलपुर said...

shukriya sharma ji

shelley said...

achchha pyas hai. lekh v achchha laga. gireesh ji or madhav ji dono hi badhai k patra hain

ghanshyam_astrologer said...

NAMSKAR
AAPAKA KEHANA BILKUL SAHI HAI.
NISCHIT HI JYOTISH KA PUNRUDHHAR HO RAHA HAI , JARURAT HAI TO SIRF KHULI SOCH AUR ANVESHAN KI
NICE ARTICAL
GSR