Friday, February 6, 2009

ज्योतिष की शाखांए प्रश्न ज्योतिष

जब ज्योतिष सम्बन्धी परिणामो को देखता हूँ तो सहसा मुख से निकल पङता हे अदभूद. अन्य भी इसी तरह का अनुभव प्राप्त करते हैं. उनके लिए तो और भी विचित्र स्थिति हो जाती हे जिनने ज्योतिष पर कभी विश्वास हे नही किया या कभी किस ज्योतिष के संपर्क में आए ही नही.

कुछ दिनों पूर्व मेरी भांजी ने पूछा की २००० रुपये गुम गए हैं , सब जगह दूंद लिए हैं, नही मिल रहे हैं. आप बताये कंहा पर हैं? य़दपि इसे में पसंद नही करता और उसे मेने टालना चाहा, परन्तु श्रीमती ने तुंरत भांप कर कहा की इसे मालूम हे कान की बाली गुम होने पर आपने जँहा बताया था वँही मिली थी, टालो मत बताओ उसे, मैंने प्रश्न कुंडली बना कर बताया पूजा की जगह देखो. पाँच मिनट बाद भांजी दौड़ते हुए आयी और आश्चर्य से बताया की रुपये पूजा की जगह मिल गए. उसने कहा तरह तो कोई वास्तु गुमेगी ही नही ।
यह प्रश्न ज्योतिष का कमाल था. प्रश्न ज्योतिष में जिस समय प्रश्न पूछा गया हे उस समय की कुंडली बना कर तत्कालीन प्रश्न का उत्तर दिया जाता हे. तत्कालिन किए जा रहे और किए जाने वाले कार्य में सफलता मिलेगी या नही, गुमा व्यक्ति घर आएगा की नही , बीमारी से मुक्ति मिलेगी की नही , मुकदमे में विजय होगी की नही आदि में इसका अच्छा उपयोग होता हे. एक रेंजर महोदय ने पूछा की कल मेरे मुकदमे का निर्णय होने वाला हे क्या होगा ? प्रश्न कुंडली के आधार पर मेने बताया की कल तो निर्णय होने की कोई संभावना ही नही हे अभी निर्णय होने में कई दिन हैं। रेंजर महोदय अड़ गए की मेरे वकील जबलपुर के नामी वकील हैं उनने कहा हे की कल
केस की फायनल सुनवाई हे और कल निर्णय निश्चित हे . रेंजर महोदय ने तुंरत वकील को फ़ोन लगा कर कन्फर्म भी किया. अब देखिये दूसरे दिन केस लगा तो पर सुनवाई नही हो पाई , अगले दिन से हायकोर्ट की लम्बी छुटियाँ पड़ गई और मुकदमे का निर्णय एक माह बाद हुआ. इस बीच रेंजर महोदय ने मुझे बहुत परेशान किया.

प्रश्न शास्त्र के विदवान ज्योतिष केवल प्रश्न कुंडली से ही आश्चर्य जनक बातें बताते हैं एवम भाविश्यवानी करते हैं.प्रश्न ज्योतिष की सीमाए हैं . जब मन में प्रश्न पूछने की इक्छा हो तभी पूछना चाहिए, एक बार में एक प्रश्न ही पूंछे , स्वयं प्रश्न पूंछे, मजाक में pareakchhaa लेने के लिए प्रश्न ना पूंछे, तात्कालीन प्रश्न पूंछे, ऐसे प्रश्न न पूंछे की पाँच महीने बाद क्या होगा? मेरा अनुभव हे की मजाक में या परीक्छा लेने हेतु पूछे गए प्रश्न के उत्तर ग़लत मिलते हैं.

प्रश्न कुंडली का उपयोग , जन्म कुंडली के साथ करना मुझे अच्छा लगता हे. यदि दोनों से एक समान परिणाम प्राप्त हों तो शक की कोई गुन्जाइस नही रहती . यदि प्रश्न कुंडली अवं जन्म कुंडली अलग अलग निष्कर्ष बता रही हैं तो विश्लेषण कराने में कंही न कंही कोई चूक होती हे अतः पुनः सूष्म विश्लेषण कर ऊंचित निर्णय पर पहुँचाना चाहिए.